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पुनर्जन्म का रहस्य! पार्ट-1 (कहानी)

prawahit pushp!
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आवाजें कहती है…बहुत कुछ! पार्ट-1 (कहानी)

डॉ..अरुणा कपूर.

..आवाज को ले कर ही,ललिता के साथ जो कुछ घटा वह मैं इस कहानी में बयां करने जा रही हूं!..सबसे पहले तो मै लोलिता का परिचय दूंगी!… इसकी 32 साल की उम्र है!…शादीशुदा है!..सरकारी स्कूल में अध्यापिका है!…पति इंजीनियर है और मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत है!…लोलिता की दो बेटियां है..बडी 6 साल की और छोटी 4 साल की है…अब लोलिता फिर पेट से है, तीन महिने की गर्भवती है!…लोलिता का परिवार, सुखी परिवार है!

पुनर्जन्म या भूत-प्रेत में विश्वास करना वाकई मुश्किल है!…फिर भी अगर आप विश्वास करतें है तो…तो यह कहानी जरुर पढ़ें!…अब हम आवाज कि बात भी लगे हाथ कर ही लेते है….आवाज तो कभी हम किसीको देते है…बुलाते है, कहते है, सुनते है!… और कोई हमें भी आवाज दे कर बुलाता है… बतियाता है, अच्छी या बुरी खबर सुनाता है, अपने कहे के अनुसार चलने को मजबूर भी कर देता है!… लेकिन इस आवाज देने वाले का अपना रंग–रुप होता है…नाम होता है!…एक रिश्ता होता है!… कोई अजनबी भी होता है तो वह रिश्ते से हम जैसा ही एक होता है…इस धरती पर अवतरीत एक जीव होता है!… !…अगर वह मनुष्य भी नही है तो क्या हुआ?… एक जीव तो होता ही है जो जीवंत होने के सभी लक्षणों से युक्त होता है!
…और फिर तो क्या निर्जीव चिज-वस्तुओं की आवाज नहीं होती?… क्यों नहीं होती?…अवश्य होती है!… चीजें गिरने की आवाज होती है….चीजों के ट्कराने की आवाज होती है!… हवाके झोंके से सरसराहट करने वाले पत्तों की आवाज होती है…बिजली कड्कने की आवाज होती है… बरसने वाली वर्षा की आवाज होती है!…नदियां, समंदर, झरने….सभी आवाजें ही तो देते है..गिनवाने जाएं तो बहुत लंबी सूची बनेगी!……लेकिन…लेकिन हम जान ही जाते है कि आवाज किस चीज की है और कहांसे आ रही है!… आवाज उत्पन्न करनेवाली चिज-वस्तुएं नजर भी आ जाती है!

… एक दिन सुबह जब लोलिता स्कूल जाने की तैयारी में थी; तब लोलिता के छोटे भाई जय का फोन आया…लोलिता के पिताजी को हार्ट-अटैक आया था और उन्हें अस्पताल ले जाया गया था! ..सुनकर जाहिर है कि लोलिता का दिल बैठ गया… माता-पिता की जगह दुनिया में कौन ले सकता है?..लोलिता ऐसे में कैसे रुक सकती थी?……उसी शहर में उसका मायका था!…उसने स्कूल में संदेशा भिजवाया कि उसकी तीन दिन की छुट्टी ग्रांट की जाए…वह नहीं आ सकेगी!…लोलिता की दोनो बेटियां स्कूल जा चुकी थी… तय हुआ कि लोलिता अकेली ही ऑटॉ ले कर अपने पिता के घर पहुंच जाएगी और उसके पति मनोज, अपनी कार लेकर, दोनों बेटियों को स्कूल से साथ ले कर बादमें लोलिता के मायके पहुंच जाएंगे!..वह भी उस दिन एक दिन की छुट्टी ले रहे थे!…

…लोलिता के पास अस्पताल का पता था… उसकी मां और छोटा भाई दिनेश अस्पताल में ही उसके पिताजी के पास थे..सो लोलिता अस्पताल पहुंच गई!…वहां पता चला कि पिताजी को समय रहते ही अस्पताल लाया गया था…इस वजह से सही समय पर डॉक्टरी सहायता मिल गई और अब वे खतरे से बाहर है!.. अस्पताल में उन्हे दो दिन ऑब्झर्वेशन के लिए रखने की आवश्यकता डॉक्टर को महसूस हुई थी!… फिल हाल उन्हे आई.सी.यू. में रखा गया था!… बाहर से ही पारदर्शी शीशे की खिडकी से लोलिता ने पिताजी को नजर भर कर देख लिया… उस समय वह आंखें बंद किए बेड पर लेटे हुए थे!
..लोलिता को थोडी तसल्ली मिल गई!…इतने में उसके पति मनोज भी अपनी दोनों बेटियों के साथ ले अस्पताल पहुंच गए!.. उन्हों ने भी डॉक्टर से मिल कर अपने ससुरजी के बारे में सारी जानकारी ले ली और राहत महसूस की..अब खतरा टल चूका था!..बस दो दिन की बात थी; पिताजी को अस्पताल से घर ले जाने की इजाजत मिल जानी थी!
आज दूसरा दिन था!… पिताजी स्वस्थ लग रहे थे!..वे घर जाने की जिद कर र्हे थे, लेकिन उनका इलाज करने वाले डॉ. तिवारी उन्हें एक दिन और अस्पताल में रखना चाहते थे!.. एक ही दिन की तो बात थी!… सभी ने उन्हें समझाया कि ‘ बस!.. कल सुबह 10 बजे जैसे कि डॉ. तिवारी अस्पताल पहुंचेंगे… आपका एक बार परिक्षण करेंगे और आपको घर जाने की इजाजत मिल जाएगी!’

…उस रात लोलिता को रात देर तक नींद नहीं आई!…कल सुबह पिताजी घर आने वाले थे…उसके बाद शनिवार और रविवार…दो दिन के लिए वैसे भी स्कूल की छुट्टी ही थी!… पति मनोज और दोनों बेटियां ..पूरा परिवार यही पर था!… पिताजी का स्वास्थ्य ठीक-ठाक था…चिंता करने जैसा कुछ भी नहीं था!…. लेकिन लोलिता की आंखों से मानों नींद कोसो दूर थी!…लोलिता ने अपने मोबाइल फोन में झांका… रात के करीब 2 बजने वाले थे!… उसी समय उसने अपने कान के पास हवाका हलकासा झोंका महसूस किया…लेकिन उसने खास ध्यान नहीं दिया!.. वह अपनी ही सोच में डूबी हुई थी!
… अब कान के पास हवामें कुछ ठंड भी महसूस हुई.. लोलिता चौक गई!.. उसके पास ड्बल बेड पर इस समय उसकी बडी बिटीया ‘विदुषी’ सोई हुई थी!…साथ वाले कमरे में मनोज और छोटी बिटिया ‘ वैशाली’ थे!.. गरमियों के दिन थे; सिलिंग फैन जरुर चल रहा था… लेकिन कान के पास ठंडी हवा क्यों कर महसूस हुई!… लोलिता समझ नहीं पाई और उसने पासा पलटा!

…कि उसके कान के बिलकुल पास कोई फुस्फुसाया…’ लोलिता!..तेरे पिताजी बस!.. कल शाम तक के मेहमान है!…अगर वे कल घर नहीं आएंगे तो ही अच्छा है…कुछ साल की जिंदगी और जी सकतें है!’

” क्या?…….” लोलिता लगभग चिल्लाई!..और अब एकदम से उठकर बैठ गई!…वह घबराई हुई थी!…अब उसने बेड के पास का स्वीच ओन किया…बल्ब जल उठा!…कमरे में रोशनी थी! लोलिता ने आस-पास नजर दौडाई…वहां तो कोई भी नहीं था!…तो फिर कौन बोल रहा था?…लोलिता मारे घबराहट के पसीने से तर-बतर थी!…उसके बाद उसने लाईट जलती ही छोड दी…सुबह सुबह कोई पांच बजे के करीब उसकी आंख लगी!
…आज सुबह से घर में सभी खुश थे…लेकिन लोलिता कुछ तनाव और कुछ डर की मिलीजुली शकल में नजर आ रही थी!… लोलिता का यह रुप उसके पति मनोज से छिपा न रह सका!… मनोज ने पूछ ही लिया…
“… लोलो, आज तो पिताजी घर आ रहे है… फिर भी लगता है कि तुम्हे परेशानी है?… क्या बात है?”
” बस!…ऐसे ही…कुछ ठीक नहीं लग रहा!…चिंता पिताजी की ही हो रही है!”..लोलिता ने परेशानी बता दी!
” लगता है कुछ छुपा रही हो…क्या तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है?…या रात को विदुषी ने परेशान किया?” मनोज को लोलिता के पहले वाले जवाब से संतुष्टी हुई नहीं थी!
… अब लोलिता को भी लगा कि रात को उसके साथ जो कुछ घटीत हुआ…उसे छिपाना ठीक नही!… उसने मनोज को सबकुछ बता दिया!… सुनकर मनोज को ज्यादा हैरानी नहीं हुई! उसने लोलिता को एक अच्छे पति की तरह समझाया कि यह उसका वहम है… ‘कई बार मनुष्य अपने ही विचारों में इतना उलझ जाता है कि उसे आंखों के सामने विचित्र चिज-वस्तुएं भी दिखाई देती है और आवाजें भी सुनाई देती है!…’ मनोज के समझाने पर लोलिता को कुछ तसल्ली मिली!…उसे भी लगा कि यह उसका वहम ही है कि उसके कान में कोई कुछ कह गया था!

… अब पिताजी को घर लाने के लिए लोलिता, भाई जय और मनोज अस्पताल गए!… लोलिता की भाभी सुजाता और मां घर पर ही थे!…पिताजी अव स्वस्थ थे!.. घर जाने के लिए तैयार बैठे थे!…अब 11 बजने वाले थे!… समय के पाबंद, ठीक 10 बजे अस्पताल पहुंचने वाले डॉ. तिवारी अब तक पहुंचे नहीं थे!…अस्पताल में बैठे लोलिता वगैरा सभी डॉ. तिवारी का इंतजार कर रहे थे!…उनके आते ही एक बार के परिक्षण के बाद पिताजी घर जा सकतें थे!
… लेकिन डॉ.तिवारी नहीं आए… खबर आई कि नजदीक के पूल पर उनकी कार का एक्सिडैंट हुआ है… ड्राईवर दम तोड चुका है और डॉ.तिवारी को पुलिस द्वारा वही नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया है!… सुन कर सभी सक्तेमें आ गए… सबसे ज्यादा तो लोलिता सक्ते में आ गई.. अस्पताल मे उस समय ड्यूटी पर मौजूद अन्य डॉक्टर, राठी ने लोलिता के पिताजी का परिक्षण किया और उन्हे घर ले जाने की इजाजत दी! …लेकिन लोलिता एकदम से कह उठी..” नहीं डॉक्टर…पिताजी को कुछ दिन यही रहने दीजिए!…उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है!…डॉक्टर मुझे लगता है कि उनका घर जाना ठीक नहीं रहेगा… आई रिक्वेस्ट यू डॉक्टर!”
…सुन कर सभी अचंभे में पड गए कि लोलिता ऐसा क्यों कह रही है!…लोलिता के पिताजी भी हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे!…मनोज को जरुर लगा कि लोलिता ने जो सुबह कानों में किसी की आवाज सुनने की बात कही थी… उस बात को ले कर वह अब तक परेशान है और इसी वजह से कह रही है कि ‘पिताजी को आज घर नहीं ले जाना चाहिए!’ …पति मनोज लोलिता को एक तरफ ले गए और थोडा गुस्सा दिखाते हुए बोले…
” लोलिता!… तुम अब भी आवाज वाली बात पर विश्वास कर रही हो? कौनसी सदी में जी रही हो?…माना कि औरतें अंध-विश्वासी होती है…लेकिन तुम तो हद पार कर रही हो!”
” ..प्लीज मानिए मेरी बात!…आज के दिन अगर पिताजी यही रहते है तो किसीका क्या जाएगा?… मेरा वहम ही सही… पिताजी को आज का दिन यही रहने के लिए समझाइए!”…लोलिता अब आंखों में आंसू लिए कह रही थी!…अब उसका भाई जय भी आ कर खडा हो गया था और सुन रहा था…वह बोला…
” …ठीक है दीदी…अगर आपके मन में कोई वहम है तो मै पिताजी को समझाने की कोशिश करता हूं..लेकिन वह शायद ही मानेंगे!.. कल से घर जाने की रट लगाए हुए है!”

…और वैसा ही हुआ..पिताजी नहीं माने!…डॉ. राठी को भी लगा कि वे स्वस्थ है और चाहे तो घर जा सकतें है!… और पिताजी घर आ गए!… घर में लोलिता की मां और भाभी दोनों ही बहुत खुश थी…उन्हों ने मंदिर जा कर प्रसाद भी चढाया!…अब चिंता करने जैसा कुछ भी नहीं था!…कुछ नजदीकी रिश्तेदार घर पर पिताजी का हाल-चाल पूछ्ने भी आ गए थे!…हां!..किसीने अब तक डॉ. तिवारी के एक्सिडैंट की खबर पिताजी को दी नहीं थी!..पिताजी ने दो-एक बार कहा भी कि …. ‘मेरा इलाज करने वाले डॉ.तिवारी अस्पताल से निकलते समय मिल जाते तो अच्छा रहता!…बहुत अच्छे हार्ट-स्पेशियालिस्ट है!…स्वभाव से कितने खुश-मिजाज है!…..उनसे मिलने को बहुत दिल कर रहा है…मेरी फोन पर ही उनसे बात करवा दो!’ … लेकिन जय ने ‘ बाद में बात करवाता हूं!’ कह कर बात टाल दी थी!
….क्रमश:

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