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हिंदी ही में बात करो!

prawahit pushp!
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हिन्दी ही में बात करों!

‘थैंक यू’..’कहना बहुत हो गया..
जरा ‘आभार जताना’ सीखो
‘कोंग्रेचुलेशन’ बहुत कह लिया…
‘अभिनन्दन’ भी कहकर देखो!
‘एक्सक्यूज मी’..को छोड़ कर,
जरा वतन को याद करों…
तुम हो भारत-मां की संतान…
हिन्दी ही में बात करो!

तुम्हे प्यारी है अपनी माता,
उसे‘मां’कह कर ही पुकारों…
काहे को कहते हो ‘मदर’,
उसे ‘मोम’ भी काहे पुकारों…
समझों अपनी जिम्मेदारी…
भाषा पर अपनी ‘गर्व’ करो…
तुम हो भारत-मां की संतान….
हिन्दी ही में बात करों!

जरा विदेशियों को देखो….
उन्हें अपनी भाषा प्यारी….
क्या प्रयोग में लातें है…
वे गलती से भाषा हमारी…?
फिर तुम इंगलिशके क्यों दीवाने….
थोडीसी ही शर्म करो…
तुम हो भारत-मां की संतान…
हिन्दी ही में बात करों!

भाषाएँ अच्छी है सभी…
हमें नहीं इनकार……
पर हिन्दी हो सबसे उपर….
आओ हम दिलवाएं उसे ये अधिकार….
ये प्रण ले लों..जब बतियाओ…
या पढ़-लिखने का काम करो….
तुम हो भारत-मां की संतान….
हिन्दी ही में बात करों!
हिन्दी में लिखों तुम कविताएँ,
लिखों हिन्दी में लेख-कहानियां….
हिन्दी जैसी सुमधुर भाषा से…
परिचित तो हो, सारी दुनिया….
नेक काम तुम करतें हो अनेकों…
अब बस नेक ये काम करों…
तुम हो भारत-मां की संतान..
हिन्दी ही में बात करों!

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