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राहुल गांधी तो.. मैं हूँ! (हास्य व्यंग्य)
हमने देखा!..एक गोरासा लडका धूप का काला चश्मा और सिर पर कैप पहने..सड़क किनारे पत्थर पर बैठ कर समोसे खा रहा था।वहां और भी लोग मौजूद थे।..समोसे वाला समोसे तले जा रहा था.. कि कोई चिल्लाया..
‘ राहुल गांधी, राहुल गांधी।… आखिर मिल ही गए।’
लोगों ने उस लड़के को घेर लिया।.. राहुल जी, राहुल जी..आप नाराज क्यों कर हुए?.. घर वापसी कब है?.. सवालों की बौछार होने लगी।.. कुछ लोग ऑटोग्राफ मांगने लग गए।राहुल जी भी हंस हंस कर लोगों का मनोरंजन करते रहे।
..हम समोसे वाले के पास खड़े होकर तमाशा देख रहे थे।.. अब समोसे वाले से कह उठे..
‘ भैया देखा।.. अब तुम्हारे समोसे छोड कर लोग राहुल गांधी की तरफ भाग रहे है..क्या जमाना आ आया।..वैसे भीड़ में हमारा दम घुटता है..वरना हम भी राहुल गांधी से मिलकर हाल चाल पूछ ही लेते।’
सुनकर समोसे वाला बोला…
‘अच्छा।..तो ये बात है।..तो सुनिए मैडम।..हमारे तो बुरे दिन आ गए है।..हम लोगों से जितने नाराज है, उससे ज्यादा लोग हमसे नाराज है।.. हम ये तय नहीं कर पा रहे कि घर वापसी कब और कैसे की जाए।’
‘तुम्हारी? ..और घर वापसी?..क्या कह रहे हो भैया?.. हम तो वो..उधर बैठे राहुल गांधी की बात कर रहे है।’
‘ राहुल गांधी वो नहीं, हम है मैडम।..ध्यान से देखिए।..क्या जमाना आया।..सचमुच में बुरे दिन आ गए..अब तो लोग असली नकली का फर्क समझना भी भूल गए।’..
‘ क्या?.. राहुल बाबा?..और तुम?…मतलब कि आप?.. तो तुम अब जितनी जल्दी हो सके..घर वापसी कर ही लो..नहीं तो कुछ समय बाद तुम्हारे…मतलब कि आपके अपने.. ही पूछेंगे कि कौन हो तुम?..कहाँ से आए हो?.. किससे मिलना चाहते हो?’..हम ध्यान से समोसे तलने वाले की और देख कर बोलने लगे..तय नहीं कर पा रहे थे कि तुम कहा जाए..या आप कहा जाए!
‘..ठीक है.. सोचेंगे..लेकिन फिलहाल हम पांडवों की तरह अञातवास में है मैडम।..किसीको बताइएगा मत।..हां!..कितने समोसे पैक करू?’..
..और हम दो समोसे खरीद कर, चुपचाप वहां से खिसक लिए।..सोचने लगे क्या जमाना आया।
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