prawahit pushp!
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अब दर्द होता है दिल में..
तकते हुए सुंदर फूलों की और!
कुदरत के बक्षे हुए..
सुंदर उपहार की और..
कुछ दिन मुस्कुराएंगे..
बिखरती रहेगी खुशबू फिजाओं में…
फिर मुरझाने लगेंगे रफ्ता,रफ्ता..
फिर गिरने लगेगी पंखुडियां रफ्ता,रफ्ता..
फिर एक सुबह ऐसी आएगी…
जैसे कोई फूल न था उस जगह!
मनुष्य जीवन भी तो…
ऐसा ही है कुछ कुछ…
लोग आते है,मिलतें है…
सुंदर यादों की सौगातें..
दे कर,चले जाते है…
फर्क ये है कि कुछ लोग…
नाम अमर कर जाते है!
राज करतें है आने वाली पीढ़ियों के…
दिलो दिमाग पर,सदियों तक…
और फूल?
कोई भी फूल अब तक…
ज़िंदा नहीं है ‘खास’ प्रसंग को ले कर,
कोई फूल ‘खास’ नाम ले कर,
मौजूदगी दर्ज नहीं कर पाया है…
इतिहास के पन्नों पर अब तक!
इसीलिए दर्द होता है दिलमें …
तकतें हुए सुंदर फूलों की और..
कुदरत के बक्षे हुए..
सुंदर उपहार की और!
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